हिमाचल प्रदेश विधानसभा भवन ने पूरा किया 100 साल का सफर: लोकतंत्र की मजबूत नींव और गौरवशाली इतिहास

हिमाचल प्रदेश विधानसभा भवन ने मनाया 100वां स्थापना दिवस
शिमला, 20 अगस्त 2025:
हिमाचल प्रदेश विधानसभा भवन ने आज अपने स्थापना के 100 वर्ष पूरे कर लिए हैं। इस ऐतिहासिक मील के पत्थर पर विधानसभा स्पीकर कुलदीप सिंह पठानिया ने प्रेस क्लब में आयोजित संवाद सम्मेलन में इसे हिमाचल प्रदेश और भारत के लोकतांत्रिक इतिहास का गर्वशाली अध्याय बताया।

भवन निर्माण और प्रारंभिक इतिहास
इस भव्य और ऐतिहासिक भवन का निर्माण कार्य सन 1920 में प्रारंभ हुआ था। 20 अगस्त 1925 को इसका निर्माण पूरा हुआ और यह भवन ब्रिटिश शासन के दौरान गवर्नमेंट ऑफ इंडिया एक्ट 1919 के अंतर्गत गठित ब्रिटिश इंडिया गवर्नमेंट के समर सेशन के लिए समर्पित था। उस वक्त विधानमंडल में कुल 145 सदस्य होते थे, जिनमें 104 निर्वाचित और 41 मनोनीत सदस्य थे। यह आधुनिक लोकतंत्र की शुरुआत के लिए ब्रिटिश सरकार का पहला कदम था, जिसने विधायी चुनाव का आयोजन किया।

ऐतिहासिक घटनाओं का गवाह
पठानिया ने इस परिसर की महत्ता पर बल देते हुए कहा कि इस भवन ने कई ऐतिहासिक घटनाओं को देखा है।

1925 में विट्ठल भाई पटेल का अध्यक्ष पद पर चुनाव।

महिलाओं को मताधिकार देने वाला प्रस्ताव, जो उस समय एक क्रांतिकारी कदम था।

‘अंग्रेजों भारत छोड़ो’ जैसे देश के स्वतंत्रता संग्राम के नारे इसी हॉल में पारित हुए।

यह भवन लाला लाजपत राय, मोहम्मद अली जिन्ना जैसे इतिहास के महान नेताओं के संघर्ष और उनकी उपस्थिति का प्रत्यक्ष साक्षी बन चुका है।

विधानसभा का सक्रिय और प्रभावशाली प्रदर्शन
स्पीकर पठानिया ने बताया कि हिमाचल प्रदेश की विधानसभा अपने सत्रों की संख्या और सक्रियता के मामले में अन्य राज्यों से आगे है। जहां अधिकांश राज्यों की विधानसभाएं सालाना 18-20 दिन चलती हैं, हिमाचल प्रदेश की विधानसभा औसतन 25 दिन पदयात्रा करती है। उन्होंने विशेष तौर पर 1962-63 के सत्र का जिक्र किया, जो लगभग 181 दिनों तक चला था, जो असाधारण है।

लोकतंत्र का जीवंत इतिहास
यह 100 साल पुराना भवन न केवल हिमाचल प्रदेश का लोकतांत्रिक केंद्र है, बल्कि यह पूरे भारत के संघर्ष, विकास और लोकतांत्रिक मूल्यों की जीवित गाथा भी है। इसने नाश्ते से लेकर स्वतंत्रता संग्राम, महिलाओं के अधिकारों से लेकर सामाजिक न्याय तक अनेक महत्वपूर्ण पहलुओं को प्रेरित किया है।

पठानिया ने सभी से अपील की कि वे इस विरासत को संजोएं और लोकतंत्र की इस मजबूत नींव को और अधिक सुदृढ़ बनाने में सहयोग दें।

उद्धरण: स्पीकर कुलदीप सिंह पठानिया
“यह हमारा गौरव है कि हिमाचल विधानसभा का प्रदर्शन अन्य राज्यों से बेहतर रहा है। अन्य राज्यों की विधानसभाएं साल में लगभग 18-20 दिन ही चलती हैं, जबकि हमारी विधानसभा लगभग 25 दिनों तक चलती है। 1962-63 में हमारा सत्र 181 दिनों तक भी चला था, जो हमारी समर्पित लोकतांत्रिक परंपरा का प्रमाण है।”

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